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महान संविधान ने मौलिक अधिकार और हक की लड़ाई लड़ने के लिए संविधानिक शक्ति दी

अशोक दिवेदी “दिव्य”

आज 26 जनवरी है जो हमारे भारत देश का गणतंत्र दिवस है जो हम सभी भारतवासियों के लिए सम्मान और गौरव का पावन अवसर है । इस भाव विभोर प्रफुल्लित अवसर और राष्ट्रीय पर्व कि आप सबको को हृदय के तल से बधाई एव ढेरो शुभकामनाए , लेकिन हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ था लेकिन उस समय देश में कोई नियम या किसी प्रकार का लिखित कानून भारत के लोग के लिए नही बना था ।

तब देश का तत्कालीन राष्ट्रपति और संविधान सभा के अध्यक्ष डाक्टर राजेंद्र प्रसाद थे, उन्होंने संविधान निर्माण का कार्य डाक्टर भीम राव अंबेडकर को दिया, डाक्टर भीम राव अंबेडकर के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई , जिसने 2 साल 11 महीने और 18 दिन के अथक परिश्रम और हर वर्ग को ध्यान में रख कर के भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया। तत्पश्चात 26 जनवरी 1950 को ये सविधान पूरे देश में लागू किया गया जिसके बाद भारत पूर्ण गणतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलने वाला देश घोषित किया गया,

हमारे देश का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान में से एक हैं इस विशाल एवम महान संविधान ने हमे हमारे मौलिक अधिकार और अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए संविधानिक शक्ति दी है । इसकी रक्षा करना हम सभी लोकतांत्रिक देशवासियों कि नैतिक जिम्मेदारी और देशभक्त होने के नाते परम कर्तव्य है। केवल गणतंत्र नागरिक हो जाना ही सम्मान पूर्ण नही है बल्कि वही नागरिक सम्मान के लायक है जो विधि द्वारा स्थापित नियम का पालन करता हो और देश के विकास में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपने सहयोग सुनिश्चित करें ताकि देश विकासशील देशों के सूची से विकसित देश के सूची में शामिल हो जाए । हमे सरकार के द्वारा संचालित सभी सामाजिक कार्यक्रमों और सामाजिक कार्यों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए ताकि हम एक बेहतर और भय मुक्त शिक्षित और शोषण रहित समाज का निर्माण हो सके ।

आइए नमन करते है उन सभी वीरो को जिनके बलिदान और त्याग के तपस्या के फलस्वरूप हमे स्वतंत्रा और गणतंत्रता मिली हैं।

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